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बहाना काम न आया

#लेखनी दैनिक काव्य प्रति

सब तरकीबें हुई नाकाम
कोई बहाना काम न आया
वो ऐसे हुए नाराज़
कि मनाना काम न आया,

छुड़ा कर हाथ, हाथों से
चले गए वो, न फिर आये
सूनी राहों में पलकों को
बिछाना काम न आया

ये ख्वाहिश की थी दिल ने
सुकून पलभर को मिले
मगर मजबूत बाहों का
ठिकाना काम न आया

मोहब्बत की हसीं यादें
देर न की भुलाने में
नशीली मेरी नजरों का
पैमाना काम न आया



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6 Comments

Swati chourasia

20-Apr-2022 04:32 PM

Very nice 👌

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Shnaya

19-Apr-2022 04:31 PM

Very nice 👍🏼

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Anam ansari

19-Apr-2022 11:07 AM

Very nice

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